रैगिंग शिकायत पत्र, राष्ट्रीय रैगिंग विरोधी हेल्प लाइन का फ़ोन नंबर क्या है, रजिस्ट्रेशन के बाद एंटी रैगिंग फॉर्म कैसे डाउनलोड करें, कॉलेज के खिलाफ शिक्षा विभाग में शिकायत कैसे दर्ज करें?, रैगिंग के खिलाफ शिकायत कहां दर्ज करें? रैगिंग के लिए दंड, शिक्षण संस्थान के खिलाफ उपभोक्ता की शिकायत, विश्वविद्यालय के खिलाफ यूजीसी में शिकायत, कॉलेज के खिलाफ छात्र की शिकायत
यदि आपने “मुन्ना भाई एमबीबीएस”, “थ्री ईडियट्रस” जैसी फिल्में देखी है तो आपको इन फिल्मों में दिखाए गए रैगिंग (ragging) के दृश्य जरूर कायम होंगे। पहले हल्की फुल्की रैगिंग होती थी एवं इसे जूनियर एवं सीनियर के बीच आपसी मेल जोल बढ़ाने की दृष्टि से अच्छा भी माना जाता था। किंतु आज की तारीख में किसी भी कालेज में रैगिंग एक बड़ा अपराध है। यदि रैगिंग का दोष साबित होता है तो छात्रों को सजा मिलने के साथ ही कालेज के खिलाफ भी कार्रवाई एवं आर्थिक दंड का प्रावधान किया गया है।
आज इस पोस्ट में हम जानेंगे कि भारत में रैगिंग के लिए क्या क्या दंड मिल सकता है। हमने इस पोस्ट में रैगिंग क्या है? इसमें किस तरह के व्यवहार को शामिल किया गया है? इसके खिलाफ क्या कानून बनाए गए हैं? रैगिंग की शिकायत कहां करें? आदि विषयों को कवर किया है।
रैगिंग क्या है? [What is Ragging?]
सर्वप्रथम आपको बताते हैं कि रैगिंग क्या है? किस तरह के व्यवहार को रैगिंग में शामिल किया गया है। आपको मालूम ही होगा कि उच्च शिक्षण संस्थानों एवं खासकर मेडिकल, इंजीनियरिंग कालेजों में रैगिंग के स्वरूप को घातक मानते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University grants commission) अर्थात यूजीसी (UGC) ने कड़े नियम बनाए थे। इसके अंतर्गत कई तरह के व्यवहार को रैगिंग की श्रेणी में रखा गया था। जान लेते हैं कि ये क्या-क्या हैं-
- 1-यदि किसी संस्थान अथवा हास्टल में किसी छात्र अथवा छात्रा को उसके रंगरूप अथवा पहनावे के आधार पर टिप्पणी की जाए एवं उसके स्वाभिमान को आहत किया जाए।
- 2-उसे अजीबोगरीब नाम लेकर पुकारा जाए एवं प्रताड़ित किया जाए।
- 3-किसी छात्र छात्रा को उसकी क्षेत्रीयता, धर्म, भाषा अथवा जाति के आधार पर अपमानजनक नाम लेकर पुकारा जाए।
- 4-छात्र छात्रा की नस्ल अथवा पारिवारिक अतीत अथवा आर्थिक पृश्ठभूमि को लेकर उसे लज्जित किया जाए एवं अपमानित किया जाए।
- 5-छात्राओं को अपमानजनक टास्क देना अथवा अजीबोगरीब नियम बनाकर उन्हें परेशान करना।
सुप्रीम कोर्ट ने सन 2001 में रैगिंग को पूरी तरह बैन किया
विभिन्न शिक्षण संस्थानों में हल्की फुल्की रैगिंग, बुलिंग को मामूली माना जाता था, लेकिन समय गुजरने के साथ साथ इसने गंभीर रूप ले लिया। भारत की बात करें तो सन 1990 तक रैगिंग ने भयानक रूप अख्तियार कर लिया था। आंकड़ों पर भरोसा करें तो सन 1997 में रैगिंग के सबसे ज्यादा मामले तमिलनाडु में दर्ज किए गए थे। कई छात्रों ने रैगिंग की वजह से कालेज छोड़ दिया था तथा कई डिप्रेशन के शिकार हो गए थे। इनमें से कुछ ने मौत को भी गले लगा लिया था। इसके पश्चात सुप्रीम कोर्ट ने 2001 में रैगिंग को पूरी तरह से बैन कर दिया।
रैगिंग के खिलाफ शिकायत कहां दर्ज कर सकते हैं?
देश के सभी शैक्षणिक संस्थानों में एंटी रैगिंग कमेटी (anti ragging commitee), एंटी रैगिंग स्कवायड (anti ragging squad) एवं एंटी रैगिंग मानिटरिंग सेल (anti ragging monitoring cell) का गठन किया गया है। रैगिंग का शिकार कोई भी विद्यार्थी यहां रैगिंग की शिकायत कर सकता है।
यदि पीड़ित छात्र अथवा छात्रा इनकी कार्रवाई से संतुष्ट नहीं होता तो वह पुलिस स्टेशन जाकर सूचना प्राथमिकी अर्थात एफआईआर (FIR) दर्ज करा सकता है। दोषी पर आपराधिक मुकदमा कायम हो सकता है।
ऑनलाइन रैगिंग के खिलाफ शिकायत कैसे करें?
एंटी रैगिंग की वेबसाइट पर जाएं –
फार्म भरे –

डॉक्यूमेंट अपलोड करें –
फॉर्म सबमिट करें –
शिकायत नंबर सुरक्षित नोट करें –
रैगिंग किन धाराओं में आता है?
भारतीय दंड संहिता अर्थात आईपीसी (IPC) के तहत रैगिंग के लिए विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया जाता है, जो इस तरह से हैं-
- धारा 294 अश्लील हरकतें एवं गाने गाना
- धारा 325 स्वेच्छापूर्वक गंभीर आघात पहुंचाने की सजा
- धारा 339 अनुचित क्रूरता
- धारा 340 अनुचित कैद
- धारा 342 अनुचित कैद के लिए सजा
- धारा 506 दोषपूर्ण हत्या के लिए सजा
रैगिंग के दोषी को क्या सजा मिलती है?
रैगिंग को एक संज्ञेय एवं दंडनीय अपराध की श्रेणी में रखा गया है। विभिन्न कालेजों, विश्वविद्यालयों में इस अपराध की रोकथाम एवं उस पर नियंत्रण के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम-1956 के अंतर्गत नियम बनाए गए हैं। किंतु राज्य भी इस संबंध में कानून पारित करते हैं। अलग अलग राज्यों में रैगिंग के दोषियों के लिए सजा अलग-अलग हो सकती है।
यदि एंटी रैगिंग कमेटी किसी छात्र को रैगिंग का दोषी पाती है तो अपराध की प्रकृति व गंभीरता को देखते हुए उसे दंडित किया जाएगा। विभिन्न राज्यों द्वारा रैगिंग के संबंध में कानून एवं सजा इस प्रकार से है-
यूपी शैक्षणिक संस्थान रैगिंग प्रतिषेध अधिनियम-2010
यह अधिनियम यानी एक्ट (Act) उत्तर प्रदेश में लागू है। इस एक्ट की धारा 3 के अंतर्गत शैक्षणिक संस्थान के भीतर अथवा बाहर रैगिंग पर रोक है। यदि कोई रैगिंग करता है, इसमें सहयोग करता है, उकसाता अथवा प्रचार करता है तो उसे अधिनियम की धारा 5 के अंतर्गत दंडित किया जाएगा। उसे दो वर्ष तक की जेल अथवा 10 हजार का जुर्माना हो सकता है। अथवा दोनों दंड एक साथ लगाए जा सकते हैं।
हरियाणा शैक्षणिक संस्थान रैगिंग प्रतिषेध अधिनियम-2012
इस एक्ट की धारा 3 के अंतर्गत राज्य के किसी भी शैक्षणिक संस्थान के भीतर एवं बाहर रैगिंग को पूरी तरह बैन किया गया है। इस एक्ट की धारा 8 के अंतर्गत व्यवस्था की गई है कि दोशी के खिलाफ यदि अपराध साबित होता है तो चाहे एफआईआर की गई हो या नहीं, संस्था का प्रमुख रैगिंग के दोषी पर दंड लगा सकता है।
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दोषी पर न्यूनतम दो सेमेस्टर अथवा एक साल तक शिक्षा से रोक दिया जाएगा। अथवा उसे दी जा रही स्कालरशिप एवं अन्य लाभों को वापस ले लिया जाएगा। अथवा 25 हजार जुर्माना लगाया जाएगा। अथवा मामले को देखते हुए दोनों दंड एक साथ लगाए जाएंगे।
महाराष्ट्र शैक्षणिक संस्था रैगिंग प्रतिषेध अधिनियम-1999
इस एक्ट की धारा 3 के अंतर्गत शैक्षणिक संस्थानों के कैंपस के भीतर एवं बाहर रैगिंग पर पूरी तरह रोक लगाई गई है। यदि कोई भी प्रत्येक या परोक्ष रूप से रैगिंग का दोषी पाया जाता है तो दो साल तक की जेल के साथ ही 10 हजार रूपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
त्रिपुरा शैक्षणिक संस्था रैगिंग से सुरक्षा एक्ट-1990
इस एक्ट की धारा 4 के अंतर्गत रैगिंग के दोषी को चार वर्ष तक की सजा अथवा जुर्माना हो सकती है। अथवा सजा एवं जुर्माना दोनों संभव है।
छत्तीसगढ़ शैक्षणिक संस्थान रैगिंग प्रतिषेध अधिनियम 2001
इस एक्ट की धारा 3 के अंतर्गत किसी भी छात्र के कैंपस के भीतर अथवा बाहर रैगिंग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया गया है। यदि कोई छात्र रैगिंग का दोषी साबित होता है तो उसे पांच साल की जेल अथवा जुर्माना अथवा दोनों सजा साथ दी जा सकती हैं।
यूजीसी के दिशा निर्देशों के उल्लंघन पर सजा –
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी एक्ट-1956 के नियमों के अनुसार भी कई दिशा निर्देश जारी किए गए हैं, जिनके उल्लंघन पर यह सजा संभव है-
- 1. रैगिंग के दोषी छात्र पर 25 हजार रूपये के जुर्माने से लेकर एक लाख रूपए तक का जुर्माना।
- 2. रैगिंग के दोषी छात्र को कक्षा में मौजूद होने व शिक्षा के विशेषाधिकार से निलंबित करना।3. शैक्षणिक संस्था से मिलने वाली छात्रवृत्ति व अन्य लाभों को रोक दिया जाना अथवा वापस ले लिया जाना।
- 4. शैक्षणिक संस्थान में होने वाली किसी भी परीक्षा अथवा अन्य मूल्यांकन पर रोक लगाना।
- 5. संबंधित छात्र के रिजल्ट पर रोक लगा दिया जाना।
- 6. छात्र को हास्टल से निष्कासित कर दिया जाना।
- 7. दोषी छात्र का दाखिला रद्द कर दिया जाना।
- 8. रैगिंग की अवधि से एक से लेकर चार सेमेस्टर तक संस्था से निकाल दिया जाना।
- 9. रैगिंग के दोषी छात्र को संस्थान से निकालना एवं निश्चित अवधि तक किसी अन्य संस्था में प्रवेश पर रोक लगा दिया जाना।
- 10. यदि रैगिंग के व्यक्तिगत अपराध की पहचान संभव न हो तो सामूहिक दंड दिया जाना।
रैगिंग के संबंध में यूजीसी के इन दिशा निर्देश का पालन आवश्यक
अब आप सोच रहे होंगे कि रैगिंग के संबंध में वे कौन से दिशा निर्देश हैं, जिनका पालन प्रत्येक कालेज, विश्वविद्यालय के लिए अनिवार्य है। एक नजर इन पर भी-
1 एंटी रैगिंग कमेटी का गठन
प्रत्येक कालेज, विश्वविद्यालय से जुड़ी संस्था में एंटी रैगिंग कमेटी का गठन किया जाएगा। इसमें विश्वविद्यालय संकाय सदस्यों के प्रतिनिधि, छात्र-छात्राओं के माता-पिता, नए छात्र, सीनियर छात्र-छात्राएं एवं गैर शिक्षण कर्मचारी शामिल होंगे। वे रैगिंग से जुड़े कार्य कलापों पर निगाह रखने के साथ ही ऐसा होने पर एंटी रैगिंग स्कवायड को सूचित करेंगे ताकि रैगिंग करने वालों को सजा मिलेगी।
2 एंटी रैगिंग स्कवायड
इस स्कवायड का गठन शैक्षणिक संस्था प्रमुख के द्वारा किया जाएगा। इसमें कालेज, विश्वविद्यालय कैंपस के साथ ही विभिन्न विभागों के प्रतिनिधि सदस्य होंगे। ये सदस्य कालेज, विश्वविद्यालय में गश्त करते हुए निगरानी रखेंगे। इन्हें कालेज हास्टल समेत कैंपस में छापामारी की शक्ति होगी। रैगिंग की घटना होने पर यह स्कवायड जांच करेगी एवं रिपोर्ट एंटी रैगिंग कमेटी को देगी। यह स्कवायड समिति के दिशा-निर्देशों पर ही काम करेगी।
3-रैगिंग मानिटरिंग सेल
शैक्षणिक संस्था यदि विश्वविद्यालय से जुड़ी है तो इसमें रैगिंग पर नजर रखने के लिए एक मानिटरिंग सेल का गठन अनिवार्य रूप से करना होगा। यह सेल एंटी रैगिंग कमेटी, एंटी रैगिंग स्कवायड एवं मानिटरिंग सेल की गाइडेंस में ओरिएंटेशन, काउंसिलिंग एवं रैगिंग की घटना के संबंध में रिपोर्ट मांग सकेगी।
रैगिंग की रोकथाम के उपाय को क्या प्रयास किए जा रहे हैं, यह सेल इसका भी निरीक्षण करेगी। यह सेल विद्यार्थी एवं उसके माता-पिता से हर साल एंटी रैगिंग शपथ पत्र भरवाया जा रहा है या नहीं, इसे भी सत्यापित करेगी।
4- नए छात्र छात्राओं को जानकारी देना –
कालेज अथवा यूनिवर्सिटी को छात्र छात्राओं के प्रवेश से पहले ही “रैगिंग पूरी तरह प्रतिबंधित है, एवं दोषी पाए जाने पर दंडित किया जाएगा” की जानकारी देनी होगी।
5- छात्र छात्राओं से शपथ पत्र जमा कराना
कालेज के प्रासपेक्टस में इस संबंध में मोटे अक्षरों में छापना होगा। दाखिले या रजिस्ट्रेशन लेटर के साथ रैगिंग से संबंधित शपथ पत्र भरना भी आवश्यक किया गया है। इसमें छात्र छात्राओं के साथ ही उनके अभिभावकों के हस्ताक्षर भी जरूरी किए गए हैं। इसमें उल्लेख होगा कि “रैगिंग अपराध है एवं यदि छात्र इस संबंध में दोषी पाया जाता है तो वह दंडित किया जाएगा एवं संस्थान में प्रवेश लेने से वंचित हो जाएगा”।
6- व्यापक प्रचार करना –
रैगिंग को रोकने के लिए छात्र छात्राओं को बड़े बड़े पोस्टरों से जागरूक किया जाएगा। संस्थानों के नोटिस बोर्ड एवं हास्टलों पर इन पोस्टरों एवं रैगिंग करने पर दंडित किए जाने संबंधी सूचनाओं को चस्पा किया जाएगा। नए प्रवेश के समय पोस्टर, पर्चे, सेमिनार, नुक्कड़ नाटक आदि के माध्यम से छा़त्र छात्राओं को जागरूक किया जाएगा।
7- सुरक्षा के कड़े इंतजाम करना
यदि शिक्षण संस्थान में कोई ऐसा स्थान है, जहां रैगिंग संभव है तो वहां शैक्षणिक वर्ष के अंतिम माह में सुरक्षा के इंतजाम कड़े हों, एवं आवश्यकता हो तो पुलिस भी बुलाई जाए।
8- आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर की जानकारी देना –
छात्र के प्रवेश लेते ही उसे एक पत्रिका दी जाए। इसमें संस्थान के हेड, वार्डन, एंटी रैगिंग कमेटी, डीएम अथवा पुलिस अधिकारी के नाम, पता, टेलीफोन नंबर आदि का उल्लेख हो।
9- छात्र छात्राओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना
छात्र को रैगिंग से जुड़े उसके अधिकारों के बारे में जानकारी दी जाए। उसे बताया जाए कि यदि उसकी इच्छा के विरूद्ध कोई कार्य करने को कहा जाए तो वह मना कर सकते हैं। रैगिंग होने पर छात्र छात्रा को उसकी रिपोर्ट करने के लिए कहा जाए। चाहे वे पीड़ित हों अथवा रैगिंग की किसी घटना के गवाह हों।
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नेशनल एंटी रैगिंग हेल्पलाइन – [National Anti Ragging Helpline]
देश में नेशनल एंटी रैगिंग हेल्पलाइन (national anti ragging helpline) आज से लगभग 12 वर्ष पूर्व 2009 में शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य रैगिंग के शिकार छात्र छात्राओं की सहायता करना था। छात्र इस हेल्पलाइन के टोल फ्री नंबर 18001805522 पर संपर्क कर सहायता ले सकते हैं या फिर वह अपनी तकलीफ ईमेल helpline@antiragging.in पर बता सकता है।
एंटी रैगिंग मोबाइल एप डाउनलोड करें –
रैगिंग की शिकायत दर्ज करने एवं उसके त्वरित निपटान के लिए यूजीसी ने 2017 में एक एंटी रैगिंग मोबाइल एप (anti ragging mobile app) भी तैयार किया। यह एप android सिस्टम पर काम करता था। तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस एप को रैगिंग का शिकार छात्र छात्राओं के लिए मददगार करार दिया था।

रैगिंग मामले में कचरू केस एक नजीर –
रैगिंग के मामले में कचरू केस एक नजीर माना जाता हैै। आज से 12 साल पहले 2009 में हिमाचल प्रदेश स्थित धर्मशाला के राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कालेज में रैगिंग के शिकार छात्र अमन कचरू ने दम तोड़ दिया था। इसके पश्चात स्वयं सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लेकर रैगिंग के विरोध में कानून बनाने के लिए एक सब कमेटी गठित की। इस सब कमेटी ने रैगिंग को शिक्षा व्यवस्था का बड़ा नासूर करार देते हुए रैगिंग को परिभाषित करने एवं कड़े एंटी रैगिंग नियम बनाए जाने की सिफारिश की।
आईआईटी कानपुर के छात्रों पर एंटी रैगिंग कानून में कार्रवाई
चार साल पूर्व आईआईटी कानपुर में नव प्रवेशी छात्रों के साथ अश्लील रैगिंग करने के आरोप में सीनेट ने कड़ी कार्रवाई की थी। उसने 22 छात्रों को दोषी मानते हुए 16 छात्रों को तीन साल के लिए, जबकि छह छात्रों को एक साल के लिए आईआईटी से निकाल दिया था।
भारत में रैगिंग के दंड से संबंधित प्रश्नोत्तर
रैगिंग क्या है?
यूजीसी के किस अधिनियम के अंतर्गत एंटी रैगिंग नियम बनाए गए हैं?
कालेजों के प्रोसपेक्टस में किस तरह का शपथ पत्र शामिल किया जाना आवश्यक है?
क्या आईपीसी की धाराओं में भी रैगिंग के खिलाफ केस संभव है?
रैगिंग किस प्रकार का अपराध है?
रैगिंग ने भारत में खतरनाक रूप कब अख्तियार किया?
भारत में सुप्रीम कोर्ट ने रैगिंग पर कब बैन लगाया?
हमने आपको रैगिंग के खिलाफ शिकायत कहां दर्ज करें? रैगिंग के लिए दंड के विषय में जानकारी दी। आशा है कि इस पोस्ट से आपका ज्ञानवर्धन हुआ होगा। आपको यह पोस्ट कैसी लगी, हमें जरूर बताइएगा। इसके साथ ही छात्र छात्राओं एवं अन्य व्यक्तियों को रैगिंग के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से इसे अधिक से अधिक शेयर करना न भूलें। धन्यवादं।