|| भारत में कोर्ट मैरिज के नियम 2023 | Rules of court marriage in india-2023 | bharat court marriage karne ke niyam in hindi | What is court marriage | What is process of marriage in court? | कोर्ट मैरिज करने के लिए क्या क्या दस्तावेज चाहिए? | कोर्ट में शादी किस एक्ट के अधीन होती है? |
हमारे देश में सात फेरों के बंधन को सबसे मजबूत बंधन माना जाता है, इसके बावजूद प्रेम विवाह करनेवाले ऐसे जोड़े, जिनके मां बाप उनकी शादी को तैयार नहीं होते, वे कोर्ट मैरिज करते हैं। बहुत से जोड़े कोर्ट मैरिज को इसलिए भी प्रमुखता देते हैं, क्योंकि कोर्ट मैरिज के जरिए उनके पास शादी का प्रूफ रहता है।
सरकार द्वारा भी शादी के रजिस्ट्रेशन को प्रोत्साहित किया जा रहा है, क्योंकि इससे शादी को एक कानूनी दर्जा हासिल हो जाता है। वहीं, वह जातिगत भेदभाव को समाप्त करने के लिए भी ऐसे विवाह को प्रोत्साहित करती है। मित्रों, क्या आप जानते हैं कि हमारे देश में कोर्ट मैरिज के क्या नियम हैं? यदि नहीं जानते तो भी कोई बात नहीं। हम आपको आज इस पोस्ट में कोर्ट मैरिज से जुड़ी सारी जानकारी देंगे। आपको करना यह है कि बस इस पोस्ट को शुरू से अंत तक पढ़ते जाना है। आइए, शुरू करते हैं-
कोर्ट मैरिज क्या होती है? (What is court marriage?)
दोस्तों, सबसे पहले यह सवाल उठता है कि कोर्ट मैरिज क्या होती है? (What is court marriage?) आपको बता दें कि पारंपरिक (traditional) रीति रिवाजों से की गई शादी से अलग हटकर जब कोर्ट में मैरिज आफिसर की उपस्थिति में गवाहों के समक्ष न्यायिक प्रक्रिया के अनुसार शादी की जाती है तो वह कोर्ट मैरिज (court marriage) कहलाती है। शादी करने वालों को मैरिज सर्टिफिकेट (marriage certificate) जारी किया जाता है, जिसके बाद शादी पर कानूनी मुहर लग जाती है। इन दिनों शिक्षा का स्तर बढ़ने के साथ साथ लोग कोर्ट मैरिज को प्रमुखता दे रहे है। यह शादी को बहुत से विवादों से बचाती है।
कोर्ट मैरिज के क्या लाभ हैं? (What are the advantages of court marriage?)

मित्रों, आइए अब आपको बता दें कि यदि आप कोर्ट मैरिज करते हैं तो इसके क्या क्या लाभ होंगे? यह इस प्रकार से हैं-
पैसों की बचत (Money saving)
कोर्ट मैरिज (court marriage) करने से पैसों की बचत हो जाती है। किसी को भी बहुत ताम-झाम करने की आवश्यकता नहीं रह जाती। क्योंकि इस शादी में पारंपरिक एवं धार्मिक (traditional and religious) रीति रिवाजों का पालन नहीं होता, ऐसे में महज कोर्ट मैरिज फीस में ही यह विवाह निपट जाता है। इस पैसे को आप किसी अन्य महत्वपूर्ण कार्य में लगा सकते हैं।
समय की बचत (time saving)
इस विवाह में महज कुछ घंटे ही लगते हैं। ऐसे में समय की बचत (time saving) भी हो जाती है। आप धार्मिक एवं पारंपरिक रीति रिवाजों में लगने वाली कई दिन की भाग-दौड़ से बच जाते हैं।
दिखावट से छुटकारा (no need of show-off)
इस शादी में केवल दूल्हा-दुल्हन (bride-groom) एवं उनके तीन गवाह ही शामिल होते हैं। इस प्रकार के व्यर्थ की दिखावट एवं आडंबर करने की आवश्यकता नहीं होती। न ही आवभगत ठीक न होने या रिश्तेदारों की नाराजगी का डर नहीं रहता।
शादी पर कानूनी मुहर (legal stamp on marriage)
कोर्ट में शादी करने से आपको एक मैरिज सर्टिफिकेट इश्यू (marriage certificate issue) किया जाता है, जो आपकी शादी का प्रमाण होता है। इसे आप किसी भी योजना का इस्तेमाल करने के लिए प्रयुक्त कर सकते हैं।
जाति, धर्म बंधन नहीं (no caste-religion boundation)
कोर्ट मैरिज का एक बड़ा लाभ और खासियत यह है कि इसमें किसी प्रकार का कोई जाति, धर्म बंधन नहीं होता। कोर्ट में किसी प्रकार के पारंपरिक, धार्मिक रीति रिवाज करने की आवश्यकता नहीं होती।
फर्जी शादी से बचाव (safety from fraud marriage)
कोर्ट में शादी के लिए वर-वधु को अपनी पहचान (identification) से संबंधित निर्धारित दस्तावेज (documents) जमा करने पडते हैं। इस प्रकार उनका फर्जी विवाह से बचाव होता है।
क्या कोर्ट में शादी का कोई नुकसान भी है? (Is there any loss of court marriage?)
दोस्तों, सामान्य रूप से इस विवाह का अमूमन कोई नुकसान नहीं है। केवल दिक्कत यह है कि शादी 30 दिन बाद प्रमाणित (certify) होती है। दूसरे, यदि वर-वधु अपने परिजनों, रिश्तेदारों की मर्जी के बगैर विवाह करते हैं तो उन्हें अपने लिए तीन गवाह ढूंढने पड़ते हैं।
भारत में कोर्ट में शादी कौन कर सकता है? (Who can do court marriage in india?)
भारत में किसी भी धर्म के युवक/युवती कोर्ट में शादी कर सकते हैं। इसके लिए स्पेशल मैरिज एक्ट (special marriage act) -1954 में दिए गए प्रावधानों का पालन करना होता है। इसके अंतर्गत कोर्ट में मैरिज आफिसर (marriage officer) के समक्ष आवेदन पत्र (application form) एवं सारे दस्तावेज जमा करने के पश्चात लड़का-लड़की की शादी कराई जाती है। इस दौरान कोई भी धार्मिक रीति रिवाज फॉलो नहीं किया जाता।
मैरिज सर्टिफिकेट पाते ही लड़के-लड़की की शादी पर कानूनी मुहर लग जाती है। हिंदू धर्म के बाशिंदों की शादी के लिए आवश्यक है कि उनके बीच खून का रिश्ता (blood relation) न हो। जैसे कि वे रिश्ते में सहोदर भाई बहन न हों। लेकिन यदि उनके धर्म में नजदीकी रिश्ते में शादी जायज हो तो ऐसे में उनकी शादी कोर्ट में हो सकती है।
यहां यह भी बता दें कि दूसरी जाति, धर्म (other caste, religion) अथवा किसी विदेशी (foreigner) से भी शादी कोई कोर्ट में आसानी से कर सकता है। यहां तक कि जातिगत भेदभाव खत्म करने के लिए दो विजातीयों की कोर्ट में शादी को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा कई जगह प्रोत्साहन राशि भी प्रदान कर रही है।
भारत में कोर्ट में शादी करने के लिए क्या पात्रता आवश्यक है? (What is the eligibility to do court marriage in india?)
मित्रों, यदि आप अथवा आपका कोई मित्र/परिचित कोर्ट में शादी की योजना बना रहा है तो आपको बता दें कि इसके लिए उनमें कुछ पात्रता (eligibility) होनी आवश्यक है, जो कि इस प्रकार से है-
- कोर्ट में शादी करने के लिए लड़का/लड़की आपसी रजामंदी जरूरी है।
- शादी करने के इच्छुक मानसिक रूप से अनुमति प्रदान करने एवं निर्णय लेने में सक्षम हों। इसके साथ ही संतानोत्पत्ति में सक्षम हों।
- कोर्ट में शादी करने के इच्छुक लड़का/लड़की निर्धारित कानूनी आयु (legal age) पूरी कर चुके हों। लड़कों के लिए यह उम्र न्यूनतम (minimum) 21 वर्ष, जबकि लड़की के लिए यह उम्र न्यूनतम 18 वर्ष निर्धारित की गई है।
- कोर्ट में शादी करने के इच्छुक युवक/युवती शारीरिक एवं मानसिक (physically and mentally) रूप से स्वस्थ हों।
- कोर्ट में शादी करने के इच्छुक लड़का/लड़की पूर्व में विवाहित न हों।
- यदि लड़का/लड़की तलाकशुदा (divorced) हों तो और नए पार्टनर (partner) के साथ कोर्ट मैरिज कर रहे हों तो उन्हें तलाक का प्रमाण-पत्र पेश करना होगा।
- यदि लड़का/लड़की के जीवनसाथी की मृत्यु हो चुकी हो तो ऐसी स्थिति में उन्हें उसका मृत्यु प्रमाण-पत्र (death certificate) पेश करना होगा।
कोर्ट मैरिज करने के लिए क्या क्या दस्तावेज चाहिए? (What documents are required to do court marriage?)
साथियों, ऐसा नहीं है कि कोर्ट में केवल आवेदन भर करने से शादी हो जाएगी। इसके लिए कोर्ट में शादी करने के इच्छुक लड़का लड़की को कुछ दस्तावेज आवश्यक रूप से संलग्न करने होंगे, जो कि इस प्रकार से हैं-
- दोनों का आधार कार्ड।
- युवक-युवती के चार पासपोर्ट साइज फोटो
- दोनों का निवास प्रमाण पत्र।
- दोनों का जन्म प्रमाण पत्र।
- दोनों का पैन कार्ड।
- दोनों की 10वीं/12वीं की मार्कशीट।
- तलाकशुदा के मामले में प्रमाण पत्र।
- विधवा/विधुर के मामले में साथी का मृत्यु प्रमाण पत्र।
- गवाहों के पहचान के दस्तावेज। जैसे-आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि।
क्या कोर्ट मैरिज के लिए गवाहों की भी आवश्यकता होगी? (Is there any witness needed for court marriage?)
दोस्तों, आपने काफी फिल्मों में देखा होगा कि अभिनेता-अभिनेत्री शादी करने जाते हैं तो साथ में गवाह बनकर उनके दोस्त भी खड़े होते हैं। यह दृश्य फिल्मों का काल्पनिक दृश्य नहीं बल्कि वास्तव में कोर्ट में शादी करने के इच्छुक युवक युवती को विवाह के लिए तीन गवाहों की भी आवश्यकता होती है। दोस्तों, ये गवाह कोई भी हो सकते हैं। आपके दोस्त भी। आवश्यक नहीं कि यह आपके परिवार का कोई सदस्य अथवा कोई रिश्तेदार हो। बस इतना याद रखना है कि ये गवाह बालिग (mature) होने चाहिए।
कोर्ट में विवाह की प्रक्रिया क्या है? (What is process of marriage in court?)
मित्रों, अब हम आपको कोर्ट में शादी की प्रक्रिया की स्टेप बाई स्टेप जानकारी देंगे, ताकि यदि आप अथवा आपका कोई मित्र न्यायालय में जाकर शादी के बंधन में बंधना चाहता है तो उसे कोई परेशानी न हो। यह प्रक्रिया इस प्रकार से है-
स्टेप (step)-1
- सबसे पहले आपको मैरिज रजिस्ट्रार के आफिस जाकर डिस्ट्रिक्ट मैरिज आफिसर के सामने आवेदन पत्र लिखकर प्रस्तुत करना होगा। याद रखें कि इस पर लड़का-लड़की दोनों की ओर से लिखा गया हो।
- आवेदन से पूर्व इस बात का ध्यान रखें कि जिस जिले में युवक युवती विवाह करने के इच्छुक हों, वे वहां 30 दिन से निवास कर रहे हैं।
- आपको आपके साथ दो गवाह भी ले जाने होंगे
स्टेप (step)-2
- आपके आवेदन के पश्चात संबंधित रजिस्ट्रार कार्यालय द्वारा कोर्ट मैरिज नोटिस (court marriage notice) निकाला जाता है।
- यह नोटिस कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर चस्पा कर दिया जाता है। ऐसा इसलिए ताकि किसी को इस शादी पर आपत्ति (objection) हो तो वह आपत्ति जता सके। इसके अतिरिक्त स्थानीय अखबार में भी नोटिस निकाला जाता है।
स्टेप (step)-3
- स्पेशल मैरिज एक्ट-1954 की धारा-4 के अनुसार यदि कोई भी व्यक्ति विवाह पर आपत्ति जताता है तो संबंधित मैरिज आफिसर इस आपत्ति की प्रामाणिकता की जांच करता है।
- यदि आपत्ति दर्ज करने के 30 दिन के भीतर विवाह पर आपत्ति वैध (valid) पाई जाती है तो कोर्ट मैरिज का आवेदन निरस्त कर दिया जाता है।
स्टेप (step)-4
- यदि कोर्ट में शादी के लिए आवेदन करने के 30 दिन के भीतर कोई आपत्ति नहीं आती अथवा आपत्ति खारिज हो जाती है तो दोनों पक्षों को एक बार फिर मैरिज रजिस्ट्रार के आफिस आना होता है।
- स्पेशल मैरिज एक्ट के अनुच्छेद 12 के मुताबिक अब मैरिज आफिस अथवा किसी नजदीकी स्थान पर मैरिज आफिसर एवं गवाहों के समक्ष शादी की रस्मों को पूरा किया जाता है। इसके लिए आपको निर्धारित फीस भी जमा करनी होती है।
- इसके बाद दोनों पक्ष तीन गवाहों के साथ विवाह अधिकारी के समक्ष विवाह की घोषणा पर हस्ताक्षर करते हैं।
- इसके बाद मैरिज आफिसर भी कोर्ट मैरिज मंजूरी पर दस्तखत करता है। आपको बता दें दोस्तों कि यह घोषणा-पत्र एक्ट की अनुसूची-3 में दी गई घोषणा के फार्मेट में होता है।
स्टेप (step)-5
- दोस्तों, इसे कोर्ट मैरिज प्रक्रिया का आखिरी स्टेप भी कह सकते हैं। अब विवाह प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। अब रजिस्ट्रार सारी डिटेल्स (details) भरकर दोनों पक्षों को मैरिज सर्टिफिकेट जारी कर देता है। इस मैरिज सर्टिफिकेट पर दोनों पक्षों के साथ ही तीनों गवाहों के भी हस्ताक्षर होते हैं।
- यदि नोटिस प्रकाशन के 3 माह के भीतर शादी नहीं होती तो क्या होता है? (What if there is no marriage after 3 months of notice publication?)
मित्रों, बहुत बार कई कारणों से नोटिस प्रकाशन के तीन माह के भीतर दोनों पक्ष शादी नहीं कर पाते। ऐसी स्थिति में यदि वे 3 माह बाद विवाह करना चाहते हैं तो उन्हें शादी के लिए फिर से नोटिस (notice) देना होगा। वह पहले से दिए गए नोटिस के अनुसार विवाह करने में सक्षम नहीं होंगे।
कोर्ट में शादी के लिए कितनी फीस लगती है? (How much fee is imposed for court marriage?)
दोस्तों, आपको जानकारी दे दें कि सामान्य रूप से कोर्ट मैरिज में करीब एक हजार रुपए फीस लगती है। यद्यपि अलग अलग राज्यों में शादी पंजीकृत कराने के लिए अलग अलग फीस निर्धारित की गई है। यदि आप अपनी कोर्ट में शादी के लिए सहायता को किसी वकील का सहारा ले रहे हैं तो ऐसे में आपको वकील की फीस भी चुकानी होगी। यह भी वकील के हिसाब से अलग अलग ही होगी। इस पर करीब 5-10 हजार रुपए का अतिरिक्त खर्च आ सकता है।
कोर्ट मैरिज क्या होती है?
कोर्ट में शादी किस एक्ट के अधीन होती है?
क्या कोर्ट में शादी के लिए गवाहों की आवश्यकता पड़ती है?
कोर्ट में शादी के लिए लड़का/लड़की की न्यूनतम उम्र क्या निर्धारित की गई है?
क्या कोर्ट में शादी के लिए लड़का लड़की की आपसी सहमति आवश्यक है?
यदि किसी व्यक्ति का तलाक हो चुका है तो क्या वह अपने नए पार्टनर के साथ कोर्ट मैरिज कर सकता है?
यदि किसी व्यक्ति के जीवनसाथी की मृत्यु हो चुकी है तो क्या वह नए पार्टनर के साथ कोर्ट में शादी कर सकता है?
क्या कोर्ट में शादी के लिए कोई फीस लगती है?
क्या किसी भी धर्म के दो लोग अदालत में शादी कर सकते हैं?
कोर्ट द्वारा मैरिज सर्टिफिकेट इश्यू करने में कितने दिन लगते हैं?
दोस्तों, हमने आपको इस पोस्ट (post) में भारत में कोर्ट मैरिज के नियम-2023 को लेकर विस्तार से जानकारी दी। उम्मीद है कि इसकी सारी प्रक्रिया आपको स्पष्ट हो गई होगी। यदि इस पोस्ट को लेकर आपका कोई सवाल अथवा सुझाव है तो उसे नीचे दिए गए कमेंट बाॅक्स (comment box) में कमेंट (comment) कर हम तक पहुंचा सकते हैं। ।।धन्यवाद।